Tuesday, 24 January 2012

परिंदे और माँ बाप...



तिनके-तिनके  तिनके  बिन  के,
बना  घोंसला  दिन-दिन  गिन  के,

कुछ  बीने  कुछ  छीने  तिनके,
कुछ  सूखे  कुछ  गीले  तिनके,

न  दिन  है  न  रात  कहीं  है,
आँधी  लिखी  मुक़द्दर  जिनके,

फिर  से  तिनके-तिनके  बिन  के,
बना  घोंसला  दिन  दिन  गिन  के...

-स्वतःवज्र
 

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