जज़ीरे
मतलब द्वीप
ये थोड़े पानी,
थोड़ी मिट्टी
और छोटे कंकडों के
जज़ीरे हैं
मिट्टी हवा पानी से सने
सुंदर ढोल मजीरे हैं
गौर से देखा तो पाया
हम सब में थोड़े जज़ीरे हैं...
जज़ीरे तलाश से जुड़े हैं
आस से
जज़ीरे रौशनी से हैं
जबकि छुपे हुए हैं अंधेरों में !
आदमी ने हमेशा
नए जज़ीरों का
रूख़ किया है
वैसे ये कायनात भी तो
एक जजीरा ही है!
थोडा बड़ा ही सही
काले नीले सफ़ेद
आसमान का समुंदर
और बीच में
धरती का गोल टुकड़ा
एक जजीरे सा ही तो है
काले कुशादा से
आसमान में जड़े
चमकीले हीरे हैं
गौर से देखा तो पाया
हम सब में थोड़े जज़ीरे हैं...
अब सुनो ये अंतिम राज़
अज़ीम सा दुनिया का
मेरे इस खाकी बदन में
थोड़ी मिट्टी थोड़ी हवा
और खूब सारा पानी है
मैं भी खुद की तलाश में हूँ
जैसे कि मैं कोई इक जज़ीरा हूँ
मुझमें तुममे जड़-जंगम में
उसकी ही तस्वीरें हैं
गौर से देखा तो पाया
हम सब में थोड़े जज़ीरे हैं...
तो क्या करते हैं ये जज़ीरे ?
क्यों हैं ये जज़ीरे ?
क्या है नियति में लिखा इनके ?
कहाँ जा रहे हैं सब ?
मुझे इनसे बात करके
पता चला है
हर जज़ीरे का मुक़द्दर है
बड़े जज़ीरे की तलाश
जुस्तजू
वो बड़े जज़ीरे के सामने
खुद को खोल देना चाहता है
हर छोटा जज़ीरा खुद को
बड़े में घोल देना चाहता है
छोटे जज़ीरे घुल जायेंगे
बड़े वालों में
और इक अंतिम जज़ीरा
बचेगा फिर कभी
जिसे हम खुदा कहते हैं
जैसे पारे की छोटी बूँदें
बड़ी वाली में घुलने को
ही पैदा हों
मगर ये
इतना सीधा हिसाब भी नहीं
यहाँ मैं भी हूँ
छोटा हूँ पर कड़ा हूँ बीच में
यहाँ मैं भी अड़ा हूँ बीच में
मुझे बड़े जज़ीरे में नहीं घुलना !
मैं मिलता हूँ बड़े जज़ीरों से
पर उनमे घुलता नहीं !
मुझे खुदा से मिलना है
उसमे घुलना नहीं
मिलो तुम भी मगर घुलो मत !!!
ये सवाल मेरे "अहं" का नहीं
"वजूद" का है !
ये लड़ाई है
मगर अस्तित्व की !
वजूद में नहीं
जंग-ए-वजूद में लिखी
हम सबकी तकदीरें हैं
गौर से देखा तो पाया
हम सब में थोड़े जज़ीरे हैं...
गर मैं ख़ुद को
ख़ुदा से कम आंकूं तो
इसमें किसकी बड़ाई है ?
उस ख़ुदा की ?
जिसने अपनी "सर्वश्रेष्ठ कृति"
मुझमें बनाई है !
मैं छोटा जज़ीरा हूँ
और बड़ा बनना ख़्वाब है मेरा
मैं घोल लूँगा
छोटे जज़ीरों को ख़ुद में
मगर बड़ों में घुलूँगा नहीं
ख़ुदा की रहनुमाई से
हर्ज़ नहीं मुझे
गुलामी से है...
चाहे ख़ुदा की ही
क्यूँ ना हो !
मैंने जान लिया है
मैं छोटा ही सही
पर ख़ुद-मुख्तार जज़ीरा हूँ !
मैं अगर ये कर सकूं तो
मैं ही ख़ुदा हूँ...
हाँ
मैं ही ख़ुदा हूँ...
(जज़ीरे- द्वीप, कुशादा- विस्तृत , रहनुमाई- नेतृत्व )
-स्वतःवज्र