Wednesday, 29 May 2013

अभयवाद

कहीं जातिवाद की जोंकें हैं 
कहीं क्षेत्रवाद के क्षत्रप 
कहीं व्यक्तिवाद का विष मानव 
कहीं वंशवाद के तक्षक 

इस भक्षक व्यूह को तोड़ सके 
बस अभयवाद इक रक्षक  

जो सबको धूल चटा दे 
वादों से वाद मिटा दे 

कृष्ण कोठरी में रहकर 
जो निर्विवाद है 
वह अभयवाद है  !


सत्तावन से सैंतालिस तक
संघर्ष हुआ प्रतिवर्ष हुआ
कुछ शीश कटे कुछ रक्त बहा
यह पीढ़ी सब कुछ भूल चुकी
अब किसे याद है ?

जो सब कुछ स्मरण करा दे
नस नस में आग बहा दे
वह अभयवाद है !

यह शाश्वत "स्वर"
यह मौन मुखर
यह विप्लव ध्वनि
यह शक्ति प्रखर

यह प्रलयनाद है
यह अभयवाद है !



 

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