बब्बा आएगा !
बब्बा आएगा !!
दौड़ा भागा सारे दिन,
ख़तम किये सब काम,
भूख लगी है ज़ोरों की,
खायेगा अब आम |
खायेगा अब आम,
थी उन हाथों में रस्सी,
पेड़ ने मारा भाला ,
उड़ गयी सारी मस्ती |
पेड़ ने कहा-
गन्दा बब्बा !गन्दा बब्बा !!
सूरज वही था
पर दिन नया था ,
बब्बा आएगा !
बब्बा आएगा !!
दौड़ा भागा सारे दिन,
ख़तम किये सब काम,
भूख लगी है ज़ोरों की,
खायेगा अब आम |
खायेगा अब आम,
था उन हाथों में पानी !
प्यासे पेड़ से आम मिला,
ख़तम कहानी |
पेड़ ने कहा-
अच्छा बब्बा !
अच्छा बब्बा !!
- स्वरोचिष "स्वतःवज्र"