मैं स्वतःवज्र हूँ...
मैं आग हूँ ,
सीने में छुपा हूँ ,
भड़कने को तैयार ,
रगों में बहते खून में घुला हूँ ,
उबलने को तैयार ,
मैं आग हूँ !
मैं पानी हूँ ,
आँखों में बहा हूँ ,
भीषण वर्षा को तैयार ,
करुणा में घुला हूँ ,
प्रलय लाने को तैयार ,
मैं पानी हूँ !
मैं हवा हूँ ,
अदम्य तूफानों में उड़ा हूँ ,
समूल ध्वस्त करने को तैयार ,
गर्म साँसों में चला हूँ ,
चक्रवातों को तैयार ,
मैं हवा हूँ !
मैं आकाश हूँ ,
निःशब्द शून्यता में रमा हूँ ,
शस्त्र-संधारण करने को तैयार,
रिक्तता में बसा हूँ ,
योग के लिए तैयार ,
मैं आकाश हूँ !
मैं मिट्टी हूँ ,
पर्वतों में पिसा हूँ ,
टूट पड़ने को तैयार ,
माँसपेशियों में कड़ा हूँ ,
अमोघ-प्रहार करने को तैयार ,
मैं मिट्टी हूँ !
मैं स्वर हूँ ,
पाञ्चजन्य से निकला हूँ ,
युद्ध करने को तैयार ,
अर्जुन के कानों में पड़ा हूँ ,
मृत्यु वरने को तैयार ,
मैं स्वर हूँ !
मैं विचार हूँ ,
मस्तिष्क में कौंधा हूँ - तड़ित सा ,
रणनीति गढ़ने को तैयार ,
शत्रु-उर में भय बन धँसा हूँ ,
विजय-श्री करने को तैयार ,
मैं विचार हूँ !
मैं स्वतःवज्र हूँ ,
रण में पला हूँ ,
जूझ के मरने को तैयार ,
अजेय सूर्य सा बड़ा हूँ ,
तुच्छ-तारों कि चमक हरने को तैयार
मैं स्वतःवज्र हूँ !
मैं स्वतःवज्र हूँ !!
मैं स्वतःवज्र हूँ !!!
-स्वरोचिष "स्वतःवज्र "
मैं आग हूँ ,
सीने में छुपा हूँ ,
भड़कने को तैयार ,
रगों में बहते खून में घुला हूँ ,
उबलने को तैयार ,
मैं आग हूँ !
मैं पानी हूँ ,
आँखों में बहा हूँ ,
भीषण वर्षा को तैयार ,
करुणा में घुला हूँ ,
प्रलय लाने को तैयार ,
मैं पानी हूँ !
मैं हवा हूँ ,
अदम्य तूफानों में उड़ा हूँ ,
समूल ध्वस्त करने को तैयार ,
गर्म साँसों में चला हूँ ,
चक्रवातों को तैयार ,
मैं हवा हूँ !
मैं आकाश हूँ ,
निःशब्द शून्यता में रमा हूँ ,
शस्त्र-संधारण करने को तैयार,
रिक्तता में बसा हूँ ,
योग के लिए तैयार ,
मैं आकाश हूँ !
मैं मिट्टी हूँ ,
पर्वतों में पिसा हूँ ,
टूट पड़ने को तैयार ,
माँसपेशियों में कड़ा हूँ ,
अमोघ-प्रहार करने को तैयार ,
मैं मिट्टी हूँ !
मैं स्वर हूँ ,
पाञ्चजन्य से निकला हूँ ,
युद्ध करने को तैयार ,
अर्जुन के कानों में पड़ा हूँ ,
मृत्यु वरने को तैयार ,
मैं स्वर हूँ !
मैं विचार हूँ ,
मस्तिष्क में कौंधा हूँ - तड़ित सा ,
रणनीति गढ़ने को तैयार ,
शत्रु-उर में भय बन धँसा हूँ ,
विजय-श्री करने को तैयार ,
मैं विचार हूँ !
मैं स्वतःवज्र हूँ ,
रण में पला हूँ ,
जूझ के मरने को तैयार ,
अजेय सूर्य सा बड़ा हूँ ,
तुच्छ-तारों कि चमक हरने को तैयार
मैं स्वतःवज्र हूँ !
मैं स्वतःवज्र हूँ !!
मैं स्वतःवज्र हूँ !!!
-स्वरोचिष "स्वतःवज्र "