Sunday, 25 December 2011

मैं स्वतःवज्र हूँ...

मैं स्वतःवज्र हूँ...

मैं  आग  हूँ ,
सीने  में  छुपा   हूँ ,
भड़कने  को  तैयार ,
रगों  में  बहते  खून  में  घुला  हूँ ,
उबलने  को  तैयार ,
मैं  आग  हूँ !

मैं  पानी  हूँ ,
आँखों  में  बहा  हूँ ,
भीषण  वर्षा  को  तैयार ,
करुणा  में  घुला  हूँ ,
प्रलय  लाने  को  तैयार ,
मैं  पानी  हूँ !

मैं  हवा  हूँ ,
अदम्य  तूफानों  में  उड़ा  हूँ ,
समूल  ध्वस्त  करने  को  तैयार ,
गर्म  साँसों  में  चला  हूँ ,
चक्रवातों  को  तैयार ,
मैं  हवा  हूँ !

मैं  आकाश  हूँ ,
निःशब्द शून्यता  में  रमा  हूँ ,
शस्त्र-संधारण  करने  को  तैयार,
रिक्तता  में  बसा  हूँ ,
योग  के  लिए  तैयार ,
मैं  आकाश  हूँ !

मैं  मिट्टी हूँ ,
पर्वतों  में  पिसा  हूँ ,
टूट  पड़ने  को  तैयार ,
माँसपेशियों  में  कड़ा  हूँ ,
अमोघ-प्रहार  करने  को  तैयार ,
मैं  मिट्टी  हूँ !

मैं  स्वर  हूँ ,
पाञ्चजन्य  से  निकला  हूँ ,
युद्ध  करने  को  तैयार ,
अर्जुन  के  कानों  में  पड़ा  हूँ ,
मृत्यु  वरने  को  तैयार ,
मैं  स्वर  हूँ !

मैं  विचार  हूँ ,
मस्तिष्क  में  कौंधा  हूँ - तड़ित सा ,
रणनीति  गढ़ने  को  तैयार ,
शत्रु-उर  में  भय  बन  धँसा  हूँ ,
विजय-श्री  करने  को  तैयार ,
मैं  विचार  हूँ !

मैं  स्वतःवज्र  हूँ ,
रण  में  पला  हूँ ,
जूझ  के  मरने  को  तैयार ,
अजेय  सूर्य  सा  बड़ा  हूँ ,
तुच्छ-तारों  कि  चमक  हरने  को  तैयार

मैं  स्वतःवज्र  हूँ !

मैं  स्वतःवज्र  हूँ !!

मैं  स्वतःवज्र  हूँ !!!


-स्वरोचिष  "स्वतःवज्र "
 

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