...और चंदा मुस्कुरा दी !
असमान में थी चंदा ,
हमें देख के अनदेखा कर दिया ,
हमने बुलाया तो अनसुना कर दिया ,
स्याह बादल से मुँह ढक लिया ,
हमने कहा हमारे हिस्से की चाँदनी तो दे दो ,
रात अभी बाकी है |
वो गाल का काला तिल तो दे दो ,
रात अभी बाकी है |
चंदा बोली -
क्यूँ सताते हो ,
इतने दूर हो पास भी नहीं आते हो |
हमने कहा हमें तो बस
तुम्हें देखना होता है ,
दर्द तो तब होता है जब अमावस आ जाती है |
वैसे आज पूनम है ,
और रात अभी बाकी है |
चंदा मुस्कुरा दी !
:)
:)
:)
-स्वरोचिष "स्वतःवज्र"
असमान में थी चंदा ,
हमें देख के अनदेखा कर दिया ,
हमने बुलाया तो अनसुना कर दिया ,
स्याह बादल से मुँह ढक लिया ,
हमने कहा हमारे हिस्से की चाँदनी तो दे दो ,
रात अभी बाकी है |
वो गाल का काला तिल तो दे दो ,
रात अभी बाकी है |
चंदा बोली -
क्यूँ सताते हो ,
इतने दूर हो पास भी नहीं आते हो |
हमने कहा हमें तो बस
तुम्हें देखना होता है ,
दर्द तो तब होता है जब अमावस आ जाती है |
वैसे आज पूनम है ,
और रात अभी बाकी है |
चंदा मुस्कुरा दी !
:)
:)
:)
-स्वरोचिष "स्वतःवज्र"