Sunday 25 December 2011

...और चंदा मुस्कुरा दी !

...और  चंदा  मुस्कुरा  दी  !

असमान  में  थी  चंदा ,
हमें   देख  के   अनदेखा  कर  दिया ,
हमने  बुलाया  तो अनसुना  कर  दिया ,
स्याह  बादल  से  मुँह   ढक  लिया ,
हमने  कहा  हमारे  हिस्से  की  चाँदनी  तो  दे दो  ,
रात अभी  बाकी  है |

वो  गाल  का  काला  तिल  तो  दे दो ,
रात  अभी  बाकी  है |
चंदा  बोली -
क्यूँ  सताते  हो ,
इतने  दूर  हो  पास  भी  नहीं  आते  हो |
हमने  कहा  हमें  तो  बस
तुम्हें  देखना  होता  है ,
दर्द  तो  तब  होता  है  जब  अमावस  आ  जाती  है |

वैसे  आज  पूनम  है ,
और  रात  अभी  बाकी  है |
चंदा  मुस्कुरा  दी  !
:)
:)
:)

-स्वरोचिष  "स्वतःवज्र"
 

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