Sunday 25 December 2011

सिक्का (हास्य-लघुकथा )- स्वरचित पहली कहानी


सिक्का -

बात तब की है जब एक रुपये के सिक्के की मुलाक़ात  1000 रुपये के नोट से हो जाती है | बातचीत कुछ ऐसे हुई -

सिक्का- नमस्ते सर...
नोट- नमस्ते बेटा... और कैसे हो ?
सिक्का- सब ठीक ही है...
नोट- कोई प्रॉब्लम है क्या ?
सिक्का- नहीं जी ...बस... वो...
नोट- कुछ हो तो बताना.. देखेंगे क्या कर सकते हैं..

नोट- वैसे काफी घिस गए हो तुम.. कब के हो?
सिक्का- जी 1990 का.. पर आपका लाल सूट खूब फब रहा है सर ... और ये जो पशुओं की कलाकृतियाँ हैं ...कोट पर.. बहुत सुंदर...
नोट- वेल, थैंक्स..
सिक्का- सर आप कब के हैं?
नोट- 2006, latest generation, एकदम कड़क और शानदार...
सिक्का- सर सुना है 2000 और 5000 के नोट्स भी launch होने जा रहे हैं...
नोट- What rubbish!!! Dont talk like news-paper analysts... अभी ऐसी कोई योजना नहीं है...
सिक्का- वैस सर आप लोग मस्त लेदर के purse में रहते हैं..और क्या तो आपके पड़ोसी 500 और 100 रुपये के .... हमारे तो बस अठन्नी चवन्नी... बस ऐसे वैसे ही हैं | अगर पाँच रूपया आ जाये तो बस हद ही कर देता है... ठिगना ! अगर आप थोड़ी देर के लिए हमारी बस्ती यानि के गुल्लक में चलते तो बहुत अच्छा लगता..
नोट- अभी टाइम नहीं है, वैसे भी चार पाँच सौ सिक्कों  की बदबू मै बर्दाश्त नहीं कर पाता हूँ | तुम लोग गरीब और गंदे आदमियों की करेंसी हो,  you stink!!! मैंने हमेशा रईसों के पर्सों में halt किया है | 100 रुपये से कम के नोट से हाथ मिलाना is just way too down market!!!

नोट- वैसे तुम्हारा कलर भी ठीक ठाक ही लग रहा है...आज कल कहाँ हो ?
सिक्का- थैंक्स सर, मोची के पास...

(तभी अचानक बारिश आ जाती है) 

नोट- उफ्फ्फ .... ये क्या हो रहा है...इतनी तेज़ बारिश!!
सिक्का- सर कहीं छुप जाइये नहीं तो भीग जायेंगे..
नोट- अरे मुझे कुछ नहीं होगा...बहुत बारिशें देखी हैं... Extra coated on thickened paper with waxed glossy surface है....

(नोट पानी में गला जा रहा है, सिक्का जेब से साबुन निकालकर वहीँ बैठ गया और रगड़ रगड़ कर नहाने लगा, कुछ देर बाद पानी बंद....)

नोट- उफ्फ्फ... shit... पूरा गीला कर दिया, कोई बात नहीं... थोड़ी देर में सूख जाऊँगा...
सिक्का- हाँ सर हवा चल रही है, पर कुछ आँधी के भी आसार लग रहे हैं...
नोट- अरे कुछ नहीं होगा, हमारा वेट, पिछले एडिशन से 1.5 गुना ज्यादा है, Don't you worry...... अरे इतनी तेज़ हवा.... मुझे बचाओ , one ! one !!..अबे सिक्के मुझे बचा...

(सिक्का कूदकर लाल भीगे सूट को दबा लेता है, आँधी चली जाती है ...)

नोट- उफ्फ्फ्फ़... पूरा कीचड़ मुझ पर आ गया... आज का तो दिन ही ख़राब है... कुछ नहीं ! पास ही होटल है, वहां तंदूर के पास बैठकर पूरी तरह सूख जाऊँगा..
सिक्का- सर मुझे लगता है ये ठीक नहीं है....
नोट- अरे तुम्हे क्या पता है बड़े होटलों के बारे में, हमेशा मोचियों या भिखारियों के पास रहते हो !
सिक्का- सर ऐसा नहीं है, '95 तक हमें टिप में वेटर को दिया जाता था, हमारा भी रुआब हुआ करता था, हाँ अब 5 रुपये के सिक्के ही टिप योग्य हैं, वो भी बहुत कम... केवल छोटे होटलों में...
नोट-  मैं जा रहा हूँ, चाहो तो मेरे साथ कुछ समय बिता सकते हो, मुझे बुरा नहीं लगेगा |

(नोट तंदूर के ठीक ऊपर पहुँच जाता है )

सिक्का- आप ज़रा संभल के रहें |
नोट- मैं इसमें माहिर हूँ, तुम अपनी सोचो... वाह!!! गर्मी आ रही है, मैं फिर से कड़क हो रहा हूँ....

(तभी रसोइये का हाथ लगा और नोट तंदूर के अंदर जा गिरा...)

नोट-  बचाओ ! बचाओ !! बचाओ !!! .... मुझे बचाओ सिक्के मैं नीचे गिर गया.... सिक्के मुझे बचा...
सिक्का- अभी कुछ करता हूँ सर...

(सिक्का कुछ देर सोचता है फिर....)

सिक्का- मेरे जैसे हज़ारों सिक्कों का जीवन भी आपके जीवन के सामने कम है | मैं आपको ज़रूर बचाऊंगा...

(कहकर सिक्का तंदूर में कूद जाता है.... दो घंटे बाद तंदूर ठंडा हो चुका है, केवल दो चीज़ें शेष हैं- राख और सिक्का  ! )

- स्वरोचिष (07 .01 .2008) :)
 

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