Sunday, 11 November 2012

हर साँस में पाबन्द हूँ ढूँढ़ो मुझे कभी !



या लहर में या झील में ढूँढ़ो मुझे कभी
या आसमाँ के नील में ढूँढ़ो मुझे कभी
या दिल में उतर जाओ अपने खामशी के वक्त 
महफ़िलों के वक़्त या तन्हाइयों के वक़्त 

आँखों को बन्द करके भी देखो मुझे कभी 
हर साँस में पाबन्द हूँ ढूँढ़ो मुझे कभी !

या घूमती रहो कभी सफेद रात में 
चाँदनी में बहती रहो मेरी याद में 
नर्म हथेली पे सर्द चाँदनी मलो 
नाम मेरा जुगनुओं से बारहा लिखो

अब मुठ्ठियों मे बंद हूँ देखो मुझे कभी
हर साँस में पाबन्द हूँ ढूँढ़ो मुझे कभी !

या नींद न आये कभी या दिल उदास हो 
नैनों में आस हो कि या अधरों में प्यास हो 
हो दूर मन की वेदना या आस पास हो 
मृगमरीचिका हो या सच की तलाश हो 

सपनों की पहली किश्त हूँ देखो मुझे कभी
हर साँस में पाबन्द हूँ ढूँढ़ो मुझे कभी !

या नाव कुदा दो कभी सागर में अकेले
या दूर निकल जाओ कहीं सुबह सवेरे
निर्जन से द्वीप पर कभी आहिस्ता अकेले 
नाम पुकारो मेरा अन्तर से अकेले 

अन्तस में ही तो बन्द हूँ पूछो मुझे कभी 
हर साँस में पाबन्द हूँ ढूँढ़ो मुझे कभी !

या भीड़ मे बैठे हुए ही आँख मूँद लो
या दिल पे हाथ रख के अपनी साँस रोक लो
उतरती हुई धड़कनों को करके गिरहबन्द 
दो धड़कनों के बीच का निर्वात पढ़ सको

"निर्वात  का स्पन्द" हूँ बूझो मुझे कभी
हर साँस में पाबन्द हूँ ढूँढ़ो मुझे कभी !

या सुख के उन क्षणों में दुःख की कल्पना करो 
या दुःख के धरातल पे सुख की अल्पना भरो 
अश्रु-हास से परे निष्काम हो सको 
निष्काम में निर्वाण की संकल्पना करो 

"निर्वाण का आनन्द" हूँ बूझो मुझे कभी
हर साँस में पाबन्द हूँ ढूँढ़ो मुझे कभी !

या रक्खी हुई वीणा के तार छेड़ दो 
या पान्चजन्य से अमोघ बाण छोड़ दो 
या शान्त वादियों में बहो निर्झरा निःशब्द 
कोयल की मीठी कूक से मन सबका मोह लो 

मैं मौन भी हूँ "स्वर" भी हूँ सोचो अगर कभी 
हर साँस में पाबन्द हूँ ढूँढ़ो मुझे कभी !



Painting courtesy, Ms Shubhra Saxena. Thanks Maam.
 

स्वर ♪ ♫ .... | Creative Commons Attribution- Noncommercial License | Dandy Dandilion Designed by Simply Fabulous Blogger Templates