ये दुनिया गोल नहीं
सीढ़ीनुमा है
ऊँची-खड़ी सीढ़ी
पायदान पे पायदान !
चढ़ो तो सिर चकरा जाता है !!
और दुनिया गोल है
यही लगने लगता है ।
मन की रेत पर नहीं, यहाँ इस चट्टान पे लिखूँगा अब, जब मैं न मिलूं, पढ़ लेना, मेरे स्वर हैं, गुनगुनाओ कभी जब, मुझको महसूस करोगे !
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