Sunday, 11 November 2012

जिनके दो घर होते हैं


अपने देस से जो भी निकले 
रोटी की आस मे
रोज़ी की तलाश मे

कहने को उनके
दो घर हैं अब
गाँव भी दो हैं 
पता तो एक भी पता नही मगर !

जिनके दो गाँव होते हैं
रास्तों मे ही पाँव होते हैं!

जिनके दो घर होते हैं 
जाने क्यूँ बेघर होते हैं!
 

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