हर दफ़ा बेताब रहे मिलने को
हर दफ़ा बहुत करीब आके सोचा है
के कितने दूर हैं हम...
मन की रेत पर नहीं, यहाँ इस चट्टान पे लिखूँगा अब, जब मैं न मिलूं, पढ़ लेना, मेरे स्वर हैं, गुनगुनाओ कभी जब, मुझको महसूस करोगे !
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