नानी की कहानियों में
उसके किस्से हुआ करते थे
चाँद इक रोटी
उसके हिस्से हुआ करते थे
नानी ! आज भी उस किसान के घर
अमावास को अक्सर
चूल्हा ठंडा है...
मन की रेत पर नहीं, यहाँ इस चट्टान पे लिखूँगा अब, जब मैं न मिलूं, पढ़ लेना, मेरे स्वर हैं, गुनगुनाओ कभी जब, मुझको महसूस करोगे !
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