उड़ते उड़ते वो बादल
थक गया
बरस तो पड़े
बस इक कंधे की
जुस्तजू है...
आसाँ नहीं दुनिया में
सूखे कंधे मिलना ।
मन की रेत पर नहीं, यहाँ इस चट्टान पे लिखूँगा अब, जब मैं न मिलूं, पढ़ लेना, मेरे स्वर हैं, गुनगुनाओ कभी जब, मुझको महसूस करोगे !
स्वर ♪ ♫ .... | Creative Commons Attribution- Noncommercial License | Dandy Dandilion Designed by Simply Fabulous Blogger Templates