Wednesday, 7 March 2012

समंदर या उम्मीद ?


साहिल चुप सा है 
वो लहर आई तो थी 
पर जाने को है...

पतला शीशा उस लहर का
रेत पे इस पल चस्पा है
और उस पल गायब !

हर दफ़ा साहिल ने सोचा 
काश ! वो लहर ठहर जाती

कुछ लोग इसे "समंदर" 
कुछ "उम्मीद" कहते हैं।
 

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