उसकी सर्द चीख से बहरे हुए सभी
इस वजह से शोर मे ठहरे हुए सभी
मेरे जवाबों से तसल्ली उन्हें कहाँ
कुएँ सावालात के गहरे हुए सभी
जम्हूरियत लाती है ग़ुलामी नई तरीन
सख़्त-ओ-चुस्त पहले से पहरे हुए सभी
सोच-ओ-ज़हन को भी दिया कोठरी मे डाल
ज़ख़्म पुराने नये हरे हुए सभी
सब को लगा मिल गयीं हैं मंज़िलें अज़ीम
दो पहर के बाद थे सहमे हुए सभी
नाचते फिरते रहे हाक़िम के इशारे
बेड़ियाँ शाम-ओ-सहर पहने हुए सभी
*स्वर*