Friday, 12 October 2012

माँ और मैं


दिल भारी भारी सा लगने लगता है-
साँसे बोझिल हो जाती हैं

कभी कभी लगता है मुझको
मैं ज़िंदा हूँ दूर यहाँ
माँ की साँसों से...

दुनियादारी की भगदड़ से 
अलग कभी जब
आँखें करता हूँ मैं बंद

अक्सर ऐसा लगता है
माँ रोती है

आँसू उसके गिरते हैं 
मेरी आँखों से...
 

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