Sunday, 15 July 2012

अलविदा की इन्तेहा



एक चाँद है मेरा 
और एक सूरज 
रोज अलविदा होती है 
हर रोज़ मिलने के लिए 

और एक तुम हो 
मुड़के कभी  
देखा भी नहीं 

अलविदा कि इन्तेहा...


 

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