वो बोलता नहीं कुछ भी
बस लिखा करता है
चुप चुप सा रहता है
कुछ कम दिखा करता है
कुछ को लगा के मौन है वो
कुछ को लगा के कौन है वो
कोई पूछ ले तो कहता था
"unknown" है वो...
वो भीड़ में शामिल है
पर हिस्सा नहीं उसका
वो खुद कहानी रचता है
पर किस्सा नहीं उसका
वो दिखेगा हर राह में
पर मोड़ आने पे
वो बोलेगा हर बात पे
पर समय आने पे
बस इंतज़ार करता है
और सोचता है ये
वक़्त कितना और है अब
प्रलय लाने में...