Wednesday, 11 April 2012

कलम का सिपाही

वो बोलता नहीं कुछ भी 
बस लिखा करता है 
चुप चुप  सा रहता है 
कुछ कम दिखा करता है 

कुछ को लगा के मौन है वो 
कुछ को लगा के कौन है वो 

कोई पूछ ले तो कहता था 
"unknown" है वो...

वो भीड़ में शामिल है  
पर हिस्सा नहीं उसका 
वो खुद कहानी रचता है 
पर किस्सा नहीं उसका 

वो दिखेगा हर राह में 
पर मोड़ आने पे 
वो बोलेगा हर बात पे  
पर समय आने पे 

बस इंतज़ार करता है 
और सोचता है ये 
वक़्त कितना और है अब 
प्रलय लाने में...


 

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