दुनिया को जूते की नोक पे
सर को ऊँचे आसमान पे रखते हैं..
जलते अंगारे कई एक
अपनी ज़बान पे रखते हैं ..
एक वादे पे हज़ार दफ़ा कुर्बां हों
एक मुस्कान पे
हथेलियों पे जान रखते हैं..
दौलत ना सही तो ना सही
सब जानते हैं हम
दौलत-ए-ईमान रखते हैं...
मन की रेत पर नहीं, यहाँ इस चट्टान पे लिखूँगा अब, जब मैं न मिलूं, पढ़ लेना, मेरे स्वर हैं, गुनगुनाओ कभी जब, मुझको महसूस करोगे !
स्वर ♪ ♫ .... | Creative Commons Attribution- Noncommercial License | Dandy Dandilion Designed by Simply Fabulous Blogger Templates