Thursday, 2 February 2012

एक साथ

 
वो कब आयेगा जो
तोड़ के इक मंदिर
तोड़ के इक गिरजा
तोड़ के इक मसजिद अज़ीम
एक साथ...

उस मलबे से
एक मुसाफ़िरखाना बनाये
जिसमे सब बैठ सकें
एक साथ !

वो कब आयेगा...

-स्वतःवज्र 
 

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