Thursday, 2 February 2012

* अफ़रा-तफ़री *

 
ये सारे कामकाजी लोग, दुनिया के
कहाँ भागते जाते हैं ?
सुबह से शाम तलक
ट्रेनों में
बसों में
या पैदल ही

शुक्र है घर भी हैं
इनकेऔर शाम को
लौटना पड़ता है

वरना जाने
कितनी दूर निकल जाते
ये कामकाजी लोग
ज़हीन से
मेरे जैसे (?)...

-स्वतःवज्र
 

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