शीशे के निचले किनारों पर
पानी के दाग
अक्स को उम्र अता करते
पानी के दाग
आँखों के शीशे
अब धुंधलाते जाते हैं
तुम जान में तो आते हो
पहचान में आते नहीं
कैसे मिटाए कोई
किस पानी से धोये इन्हें
ये पानी के दाग
ये पानी के दाग...
मन की रेत पर नहीं, यहाँ इस चट्टान पे लिखूँगा अब, जब मैं न मिलूं, पढ़ लेना, मेरे स्वर हैं, गुनगुनाओ कभी जब, मुझको महसूस करोगे !
स्वर ♪ ♫ .... | Creative Commons Attribution- Noncommercial License | Dandy Dandilion Designed by Simply Fabulous Blogger Templates