अच्छा ही हुआ
आज हम बेवजह निकले
बहुत ऊँचे कंगूरों के बाशिंदे भी
आदमकद ही निकले
कंगूरों के कबूतर
भोले निकले
उजले निकले
बेहतर निकले
मन की रेत पर नहीं, यहाँ इस चट्टान पे लिखूँगा अब, जब मैं न मिलूं, पढ़ लेना, मेरे स्वर हैं, गुनगुनाओ कभी जब, मुझको महसूस करोगे !
स्वर ♪ ♫ .... | Creative Commons Attribution- Noncommercial License | Dandy Dandilion Designed by Simply Fabulous Blogger Templates